हर विभाग में है भरेंशाही, राजस्व विभाग में दिख रही सर्वाधिक मनमानी
रीवा जिले में कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील स्तर तक भ्रष्टाचार और प्रशासनिक निरंकुशता चरम पर है। सीएम हेल्पलाइन और ऑनलाइन शिकायतों का कोई असर नहीं हो रहा है। लोग बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं, लेकिन काम नहीं हो पाता। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और कार्यवाही न करने की आदतों से जनता त्रस्त है।

ऋषभ पांडेय
जिले के कलेक्ट्रेट कार्यालय से लेकर तहसील स्तर तक हर जगह बिना नजराना दिए फाइलें नहीं दौड़ती हैं। आम जनता त्रस्त है लेकिन अधिकारी मस्त हैं। संभागीय मुख्यालय होने के कारण अन्य जिलों के लोग भी पहुंचे है, शिकायत लेकर सुबह से शाम तक कार्यालयो के चक्कर लगाते हैं,इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही नहीं करते हैं।
कलेक्टर से लेकर कमिश्रर तक शिकायतें होती हैं फिर भी पहल नहीं होती।जिले से लेकर निचले स्तर तक प्रशासनिक निरंकुशता एवं भ्रष्टाचार से जनता में त्राहि त्राहि मची है। कोई किसी की सुनने वाला नहीं है। भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी अभी भी अपने रवैए में तनिक भी बदलाव नहीं ला रहे हैं।
कार्य करने का अभी भी वह पुराना तौर तरीका अपनाए हुए हैं जो जनहित के अनुकूल नहीं प्रतिकूल है। अधिकांश अधिकारी कर्मचारी तो जिला मुख्यालय से अप डाउन कर रहे हैं।
जिला मुख्यालय से जाने वाले कार्यालय खुलने के समय कैसे पहुंच सकते हैं इसका अंदाजा सहज तरीके से लगाया जा सकता है इससे शासन की नीतियों एवं जनहित कार्यों का क्रियान्वयन प्रभावित है जो अत्यंत चिंताजनक है। जिस पर गौर करना अब आवश्यक हो गया है
सीएम हेल्पलाइन सहित ऑनलाइन शिकायतों का कोई असर नहीं
देखा जाए तो राजस्व विभाग सहित विभागीय अमले द्वारा की जा रही भरेंशाही को लेकर जिले के लोग सीएम हेल्पलाईन में शिकायत करते हैं वहीं कई लोग ऑनलाइन शिकायत भी करते हैं लेकिन उसका कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में आम जनता के लिए सरकार द्वारा दी गई ऑनलाइन सुविधा भी निरर्थक साबित हो रही है।
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काम के लिए लोगों को बार-बार लगाना पड़ता है दफ्तर का चक्कर
काम के लिए लोगों को बार-बार कार्यालय आना जाना पड़ता है। फिर भी सहजता से काम नहीं हो पाता है। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि उक्त व्यवस्था किसी एक कार्यालय में नहीं अपितु जितने सरकारी कार्यालय हैं सब में व्याप्त घोर अव्यवस्था चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है।
जिम्मेदार अधिकारी भलीभांति वाकिफ है फिर भी कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं। ऐसी चर्चा है कि भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी लंबी राजनीतिक पहुंच रखते हैं। सत्तासीन पार्टी के नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों से अपना संबंध बना लिए हैं इसलिए उन्हें कार्यवाही होने का तनिक भी भय नहीं है।
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इसका लोगों पर विपरीत असर पड़ रहा है। विपक्ष में रहते हुए भाजपाई एक समय जिसका विरोध कर रहे थे आज उसी का समर्थन कर रहे हैं। इस विषय को गंभीरता से लेकर कार्यवाही ना की गई तो निश्चित रूप से आगामी दिनों में इसका गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलेगा।
शासकीय कार्यालयों में में दिख रही अंधेरगर्दी
जिले के अंतर्गत जितने भी शासकीय कार्यालय हैं कमोवेश सबकी एक जैसी स्थिति है। जिम्मेदार अधिकारी के जिला मुख्यालय के रहने कार्यालय समय पर ना आने तथा आए दिन नदारद रहने से अन्य कर्मचारी भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन मनमानी तरीके से कर रहे हैं। कार्यालयीन कामकाज सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है।
जनता जनार्दन से जुड़े हर एक विभाग में सूचना का अधिकार सिटीजन चार्टर लागू किया गया है फिर भी कोई इस संबंध में जानकारी चाहता है तो उसे अनाप-शनाप कह कर कार्यालय से भगा दिया जाता है। जानकारी देने की बात तो दूर रही सिटीजन चार्टर के तहत जनता को अपमानित होकर लौटना पड़ता है।
शासन की व्यवस्था को ताक पर रखकर किस तरह से शासन की व्यवस्था का अबंधन किया जा रहा है। उससे शासन की नीतियों का क्रियान्वयन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है। साथ में पंचायत के लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।