खाद के लिए किसान बेहाल: रातभर लाइन लगाकर इंतजार, भूखे-प्यासे खाली हांथ लौटे
रीवा और मऊगंज जिलों में यूरिया और डीएपी खाद की भारी कमी ने किसानों को संकट में डाल दिया है। फसल को समय पर खाद न मिलने से किसान रात्रि से ही वितरण केंद्रों के बाहर लाइन में लग रहे हैं। हालत इतनी खराब है कि लोग खुले आसमान के नीचे रातें गुजार रहे हैं, लेकिन फिर भी अधिकांश को खाद नहीं मिल रही।

ऋषभ पाण्डेय
खाद के संकट की वही पुरानी कहानी इस साल भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। रीवा और मऊगंज जिलों में यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत से किसान बेहाल हैं। खेतों में फसल को खाद की जरूरत है, इसके लिए रात्रि से ही वितरण केन्द्रों में लंबी कतार लग रही है।
खाद के लिए किसान भूख-प्यास भी लगे है इसके बावजूद पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं हो रही है। करहिया मंडी सहित विभिन्न डबल लॉक सेंटर्स और सेवा सहकारी समितियों के बाहर सैकड़ों किसान दो-दो दिन से डटे हुए हैं।
करहिया मंडी में आए किसान भारतेंद्र तिवारी, प्रदीप द्विवेदी, प्रतीक शुक्ला, विजय तिवारी, राजा सिंह सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि वे कई दिनों से आ रहे है और खाली हाथ लौट रहे है,चार बजे से लाइन में है. कुछ तो कल रात से ही बैठे हैं, लेकिन खाद अब तक नहीं मिली।
यह भी पढ़ें- सतना के युवक ने डिप्टी CM बनकर RPF को धमकाया, निकला फर्जी
मोहन तिवारी ने बताया कि वह लंबी कतार में लगे थे, जब बारी आई तो खाद खत्म हो गई। इसके बाद दूसरे दिन भी यही हाल है। वितरण केन्द्र में न पानी है, न छाया, यहां के अधिकारी कुछ बताते भी नहीं। लाइन में लगे किसानों का कहना है कि प्रशासन दावा कर रहा है कि रात यूरिया आई थी लेकिन यह गायब हो गई और किसी को पता भी नहीं चला किसे मिली।
कुछ किसानों ने आरोप लगाया कि यह खाद प्राइवेट दुकानों में भेज दी गई है, जबकि गोदामों पर आए पंजीकृत किसान अब भी खाली हाथ लौट रहे हैं। महिलाएं और बच्चे भी खाद की लाइन में लगे है, सैकड़ों की संख्या में लाइन में महिलाएं बच्चे व बुजुर्ग खड़े दिखाई दिए।
किसानों ने बताया कि लाइन में लगे लगे हालत खराब है पर्स चोरी एवं लोगों की जेब भी कट रही है। खाद के लिए किसान पैसा लेकर आते हैं और यहां चोर हाथ साफ कर देते हैं। बता दे अभी जिले के 70 प्रतिशत किसानों को खाद नहीं मिली है, नतीजतन जब करहिया स्थित कृषि मंडी के गोदाम मे खाद का स्टॉक आता है तो खाद लेने के लिए किसानों की लाइन लग जाती है.
दो-दो दिन तक किसान अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं और रात भी यहीं गुजारते हैं, कुछ लोगों को खाद मिल जाता है बाकी को फिर दूसरी रेक (स्टॉक) के लिए इंतजार करना पड़ता है फिर किसान एक दिन पहले ही लाइन में खड़े हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें- हर विभाग में है भरेंशाही, राजस्व विभाग में दिख रही सर्वाधिक मनमानी
वितरण केंद्रों में किसानों की कट रही जेब
देर रात कतार में लगे किसान भारतेंद्र तिवारी ने बताया कि वह पिछले दो दिन से करहिया वितरण केंद्र में लाइन में लगे हैं पहले वह डीएपी खाद के लिए लाइन में लगे थे, रविवार देर रात वह यूरिया के लिए लाइन में लगे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों मे कई किसानों के जेब काटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
विकास दिवस एक किसान के 30 हजार रुपए वही एक किसान 1800 व एक का 700 रुपए चोरी हो गए, लगातार चोरी की घटनाएं हो रही है वही वितरण केंद्र में लगी पुलिसकर्मियों से जब इस बात की शिकायत की गई तो उन्होंने कहा कि यहां हर किसान के जेब में 40 से 50 हजार रुपए है किसकी किसकी जेब चेक करें। वितरण केंद्र पूर्ण रूप से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर असुरक्षित है।
खाद की किल्लत से आजीविका पर संकट
किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिली, तो ना सिर्फ उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी। बल्कि उनके परिवार की आजीविका पर भी बड़ा संकट आ जाएगा, सरकार और प्रशासन से किसानों ने मांग की है कि खाद वितरण व्यवस्था को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए ताकि हर किसान को उसका हक मिल सके।
अमृत बनी खाद, रात भर करना पड़ता है इंतजार
रीवा जिले सहित मऊगंज में किसानों के लिए खाद अब अमृत के समान हो गई है। सुबह से लेकर देर शाम तक इंतजार के बाद भी कई किसानों को खाद नसीब नहीं हो रही है, हालत यह है कि कई जगहों पर किसान अपनी बारी लगाने के लिए रात में ही अपनी बारी का टोकन या थैला रख देते हैं और वहीं सो जाते हैं.
तड़के से ही किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं, जो दिन भर बढ़ती रहती हैं. यह दृश्य किसानों की बेबसी और सरकारी व्यवस्था की खामियों को दर्शाता है। किसानों का कहना है कि प्रशासन के दावों के विपरीत, उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है।
भले ही अधिकारी यह आश्वासन दे रहे हों कि पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है और दो दिन के अवकाश के बाद वितरण शुरू होने से भीड़ बढ़ गई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ करती है. किसानों को लगता है कि उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है और खाद वितरण की व्यवस्था में पारदर्शिता का अभाव है।