शनि मंदिर बिछिया में धूमधाम से मनाया गया न्याय के देवता का जन्मोत्सव

हजारों श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद

शनि मंदिर बिछिया में धूमधाम से मनाया गया न्याय के देवता का जन्मोत्सव

रीवा। न्याय के देवता कर्म के फलदाता शनिदेव के जन्मोत्सव के मौके पर शनि मंदिर बिछिया में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने लिया शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया। जिले के बिछिया में स्थित प्रख्यात शनि मंदिर में लगभग 25 सालों से शनि भगवान का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, यह शनि मंदिर रीवा के प्रमुख पवित्र स्थानों में से एक है। शनि जन्मोत्सव में भक्तों ने श्रद्धापूर्वक भगवान शनि की पूजा अर्चना की एवं उनके जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया। भक्तों ने भगवान शनि चालीसा व विशेष भजनों के साथ ही उत्सव का आनंद लिया। इसके अलावा आरती की स्थापना भी की गई जिसमें भक्तों ने उत्साह और आनंद के साथ
दीप जलाए। शनि मंदिर में इस जन्मोत्सव को बड़े धूमधाम के साथ मनाने का पारंपरिक तरीका है। हर वर्ष जन्मोत्सव अवसर पर हजारों भक्त इस मंदिर में एकत्रित होते हैं और शनि भगवान के जन्मोत्सव को समर्पित करते हैं। शनिदेव को न्याय का देवता एवं फलदाता के रूम में पूजा जाता है। कार्यक्रम के आयोजक शनि मंदिर के पुजारी डॉ. प्रदोष राजन जी महराज ने सभी भक्तों को साधुवाद देते हुए कहा की भगवान शनिदेव की नियमित रूप से तेल और उपहारों के साथ पूजा की जाती है और शनि भक्त शनिदेव की कृपा एवं आशीवांद के लिए व्रत रखते हैं। इस विशेष दिन पर शनि महाराज की आठ पत्नियों के साथ सिंगर किया जाता है, शनि जन्मोत्सव के पावन अवसर पर शनिदेव की अपार कृपा से यशोश्री परिवार व शनिभक्तों द्वारा शनि भगवान का शनि तेल अभिषेक पुष्प अभिषेक भस्म गुरु अभिषेक शनि मंत्रउच्चारण की पूर्ण प्रक्रिया के पश्चात भूमि अभिषेक गण पूजन के व नवग्रह पूजन शोडश पूजन चोषढ़ योगिनी पूजन क्षेत्रपाल शनि पूजन भूमि निर्माण शनि स्थान ग्रहण पश्चात आरती पताका अस्व पूजन एवं संगीत ध्वनि में भंडारा प्रारंभ किया गया।

1000 लीटर सरसों तेल से हुआ भव्य अभिषेक

जन्मोत्सव पर 1000 लीटर शुद्ध सरसों के तेल से भगवान शनिदेव का महाभिषेक किया गया। इसके उपरांत शनिदेव को भव्य वस्त्राभूषण गंध-धूप और मालाओं से अलंकृत किया गया। भक्तों के दर्शनार्थ भगवान के पट खोले गए। यह तेल अभिषेक वर्षों से चली आ रही परंपरा है, जिसे कर्म शुद्धि और रोग-निवारण का प्रतीक माना जाता है। इस अभिषेक के बाद उपयोग में लाया गया पवित्र सरसों का तेल प्रसाद के रूप में रीवा सहित आस-पास के जिलों के वृद्धाश्रमों एवं अनाथालयों में वितरित किया जाता है।

108 प्रकार के व्यंजनों से लगाया गया शुद्ध देसी घी का भोग

जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में गाय के शुद्ध देसी घी से बने 108 प्रकार के विशेष व्यंजनों का भोग भगवान शनिदेव को अर्पित किया गया। भोग को शास्त्रानुसार विशेष पद्धति से तैयार कर विशेष वेदी पर सजाया गया। इसके बाद इस पवित्र भोग को प्रसाद रूप में भक्तों में वितरित किया गया।चतुर्थ कुंड में हवन से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

मंदिर प्रांगण में विशेष रूप से स्थापित चतुर्थ कुंड में वैदिक विधि से हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने पूर्ण आस्था के साथ आहुति प्रदान की। मान्यता है कि इस पावन कुंड में दी गई आहुति से भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।